इसराइल के सीरिया पर किए गए एक हमले में अमरीका के बनाए एक ख़ास लड़ाकू विमान की चर्चा हो रही है. बताया जा रहा है कि अमरीका का यह ख़ास लड़ाकू विमान पहली बार इसराइल ने किसी लड़ाई में इस्तेमाल किया है.
इसराइल के वायुसेना प्रमुख ने लेबनान और बेरूत के ऊपर से उड़ते जेट की तस्वीरें दिखाईं और कहा कि दो अलग-अलग ठिकानों पर हमले के लिए पहले ही इन विमानों का इस्तेमाल किया गया है.
इसराइल में मुलाक़ात कर रहे 20 देशों के वायुसेना प्रमुखों से इसराइली वायुसेना के मेजर जनरल अमिकम नॉर्किन ने कहा था, "एफ़-35 विमान पूरे मध्यपूर्व में उड़ान भर रहे हैं और दो अलग जगहों को इन्होंने निशाना बनाया गया है."
हालांकि, उन्होंने हमले के ठिकानों के बारे में साफतौर पर नहीं बताया है.
आपको बताते हैं कि एफ़-15 फाइटर प्लेन की ख़ासियतें क्या हैं -
- अमरीका में बना ये लड़ाकू विमान एफ़-35 पहली बार इसराइल द्वारा किसी युद्ध में इस्तेमाल किया गया है. हालांकि ये बात भी सच है कि इसराइल अपने सैन्य अभियानों को चुपके से अजाम देता है और हो सकता है कि जनवरी में भी इसका इस्तेमाल किया गया हो.
- अमरीका के बाद इसराइल पहला देश है जिसने एक सीट वाले इस विमान को ख़रीदा है. इसराइल ने 50 एफ़-35 का ऑर्डर दिया था जिसमें से उसे अब तक 9 विमान मिल चुके हैं.
- इसराइल ने इस विमान को नाम दिया है, "आदिर" यानी ताकतवर. इसराइल इसे "युद्ध में खेल बदल सकने की क्षमता रखने वाला" कहता है.
- इस लड़ाकू विमान को ऐसी तकनीक से बनाया गया है जिसमें ये रडार की पकड़ से बच निकलने की क्षमता है.
- रडार में ना दिखने की वजह से ये शत्रु के विमानों को कम वक्त में गिरा सकता है. इसमें ख़ास सेन्सर लगे हैं जिसके कारण डेटा जल्द से सैन्य कमांडरों के साथ साझा किया जाता है. साथ ही ये विमान रडार को जैम करने की क्षमता भी रखता है.
- एफ़-35 विमान के तीन प्रकार हैं- पहला एफ़-35ए- जो आम विमानों की तरह टेकऑफ़ करता है, दूसरा एफ़-35बी जो सीधे हेलीकॉप्टर की तरह लैंड कर सकता है यानी वर्टिकल लैंडिंग की क्षमता रखता है और तीसरा एफ़-35सी जो एयरक्राफ्ट कैरियर यानी युद्धपोतों से उड़ान भर सकता है.
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एफ़-15 को दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान कहा जा रहा है. हाल में इसकी क़ीमत और इसकी मारक क्षमता को ले कर काफी आलोचना हुई है. 2016 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इनकी क़ीमतों को ले कर आलोचना की थी. एक एफ़-35 प्लेन की कीमत 100 मिलियन डॉलर के क़रीब है.
इसके बाद रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने एक सैन्य कार्यक्रम में इसके इस्तेमाल का बचाव किया था.
अमरीका से पहले इस्तेमाल का दावा
यरुशलम में बीबीसी संवाददाता टॉम बैटमेन कहते हैं कि इसराइल अमरीकियों से पहले एफ़-35 का इस्तेमाल करने का दावा करता है. इसके पीछे का कारण सैन्य ताकत का प्रदर्शन करना भी हो सकता है. इसराइल को लगता है कि ईरानी सुरक्षा बल उसे डराने के लिए सीरिया में आने की कोशिश कर रहे हैं.
इसराइल का कहना है कि सीरिया में किए गए हालिया हवाई हमले ईरानी सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर किए गए थे. इसराइल के ये हमले कब्ज़ा किए गए गोलन पहाड़ियों में इसरायली सेना पर हुए रॉकेट हमले के जवाब में थे.
एक मिलिट्री ब्लॉग ने साल 2015 में कहा था कि एफ़-35 अधिक तेज़ नहीं है और यह एफ़-16 को हवाई मुकाबले में नहीं हरा सकता है.
विश्लेषक कहते हैं कि रडार से बच निकलने की तकनीक से हवाई हमले में मार करने की क्षमता पर असर पड़ता है.
source: bbc
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