
पिछले कुछ दशकों में उत्तर प्रदेश का अयोध्या शहर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के कारण सुर्ख़ियों में रहा है.
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1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद देश के कई इलाक़े में सांप्रदायिक हिंसा हुई और कई लोग मारे भी गए.
ये मामला अभी अदालत में है और फ़ैसले का इंतज़ार है.
इन तमामों विवादों के बीच अयोध्या मे सांप्रदायिक सौहार्द का दूसरे चेहरा भी दिखा.
हिंदू-मुसलमान की एकता

सोमवार को अयोध्या के सैकड़ों साल पुराने एक मंदिर के महंत ने मुसलमानों के लिए इफ़्तार पार्टी रखी.
और कई मुस्लिम रोज़ेदारों ने वहां जाकर अपना रोज़ा तोड़ा.
अयोध्या के सरयू कुंज मंदिर के महंत ने सोमवार को इफ़्तार पार्टी का आयोजन किया. इफ़्तार के बाद मंदिर परिसर में मग़रिब की नमाज़ भी अदा की गई.
मंदिर के महंत जुगल किशोर शरण शास्त्री ने बीबीसी को बताया, ''ऐसा पूरी तरह से ये बताने के लिए किया गया कि अयोध्या में हिंदू और मुसलमान कितने सौहार्द से रहते हैं.''
किसने दी इफ़्तार की दावत

''कई मुस्लिम भाई यहां इफ़्तार के लिए आए और संतों ने अपने हाथों से उन्हें इफ़्तार कराई.''
जुगल किशोर शास्त्री ने बताया कि ये आयोजन उन्होंने पहली बार नहीं किया है बल्कि तीन साल पहले भी किया था.
वो बताते हैं, ''तीन साल पहले हमने इसकी शुरुआत की थी लेकिन उसके बाद मैं बीमार पड़ गया. इस वजह से ये पिछले साल आयोजित नहीं हो पाया. लेकिन अब आगे इसे जारी रखा जाएगा.''
महंत जुगल किशोर शास्त्री के मुताबिक इफ़्तार में रोज़ेदारों को वही चीजें खिलाई गईं, जो भगवान को भोग लगाई गई थीं.
प्रसाद भी, इफ़्तार भी

उन्होंने कहा, ''ये समझिए कि भगवान का प्रसाद रोज़ेदारों को खिलाया गया. हलवा, पकौड़ी, केला, खजूर और कुछ अन्य चीजें रखी गई थीं इफ़्तार में. क़रीब सौ लोग शामिल थे. ज़्यादा लोगों को हम बुला नहीं पाए लेकिन जिन्हें भी बुलाया था, वो सभी लोग आए.''
इफ़्तार पार्टी में अयोध्या और फ़ैज़ाबाद के मुसलमानों के अलावा क़रीब आधा दर्जन साधु-संतों को भी बुलाया गया था जो इस कार्यक्रम में आए भी.
महंत जुगल किशोर शास्त्री ने बताया कि रोज़ेदारों के साथ ही मंदिर के संतों, कर्मचारियों और मेहमान साधु-संतों ने भी इफ़्तार किया.
उनके मुताबिक सरयू कुंज स्थित ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के पास ही स्थित है.
कोई नेता शामिल नहीं

वो बताते हैं, ''हम लोग वैष्णव संत हैं. वैष्णव और सूफ़ी परंपरा से हमने ये सीखा है कि सभी धर्मों और संप्रदायों में सौहार्द और भाई-चारा होना चाहिए. उसी मक़सद से हमने ये कार्यक्रम आयोजित किया.''
इफ़्तार पार्टी में न तो किसी राजनीतिक दल के लोगों को बुलाया गया था और न ही किसी अन्य 'वीआईपी' को. यहां तक कि मीडिया को भी नहीं बुलाया गया था.
फ़ैज़ाबाद के स्थानीय पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया, ''इस कार्यक्रम की जानकारी मीडिया वालों को भी नहीं थी. सिर्फ़ उन्हीं चुनिंदा पत्रकारों को पता था जो अक़्सर महंत जी के पास आते-जाते हैं.''
अभिषेक श्रीवास्तव बताते हैं कि अयोध्या के मशहूर हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत ज्ञानदास ने भी इससे पहले दो बार मंदिर परिसर में इफ़्तार का आयोजन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे बंद कर दिया.
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