Friday 13 April 2018

Toothpaste will cure the disease which approx. takes life of about 5Lakh annually

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जिस बीमारी से हर साल मरते हैं 5 

लाख से ज़्यादा लोग, अब उसे ठीक करेगा

 Toothpaste

अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया के कारण प्रतिवर्ष 5 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है.

टूथपेस्ट से मलेरिया भी ठीक हो सकता है

खास बातें

  1. टूथपेस्ट में पाया जाता है ट्राइक्लोजन नामक तत्व
  2. रोबोट वैज्ञानिक ईव ने की खोज
  3. मलेरिया से हर साल 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत
नई दिल्ली: दांतों को मज़बूत और चमकदार बनाता है टूथपेस्ट. इसमें मौजूद तत्व आपकी सांसों को फ्रेश रखते हैं और दांतों को टूटने से बचाते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है टूथपेस्ट दांतों के अलावा किसी बीमारी से आपको बचा सकता है? जी हां, हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह पता चला है कि टूथपेस्ट मलेरिया से भी आपको बचा सकता है.

यह शोध लंदन में हुआ कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटरजेंट में एक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो मलेरिया के कीटाणुओं से लड़ने में सक्षम है रोबोट वैज्ञानिक ईव की अगुआई में हुए शोध के मुताबिक, टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोजन नामक तत्व मलेरिया परजीवी विशेषकर डीएचएफआर नामक एक एंजाइम पर हमला कर उसकी वृद्धि को रोकता है.

मलेरियारोधी दवाई पिरिमेथामाइन मुख्यत: डीएचईआर पर हमला करती है. अफ्रीका में इस दवाई का मलेरिया परजीवियों पर सामान्य असर पड़ता है.



शोधकर्ताओं ने साबित किया कि ट्राइक्लोजन मलेरिया के उन परजीवियों पर भी कारगर साबित हुआ जो पिरिमेथामाइन से लड़ने में सक्षम थे.
 

malaria

ब्राजील स्थित विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और मुख लेखक एलिजाबेथ बिल्सलैंड ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक एक अखबार से कहा कि रोबोट वैज्ञानिक ईव की खोज कि ट्राइक्लोजन मलेरिया से लड़ने में सक्षम है, के बाद हमें यह उम्मीद जागी है कि इसे विकसित कर एक नई दवाई बनाई जा सकती है.

उन्होंने कहा कि यह एक सुरक्षित यौगिक है और मलेरिया परजीवियों के जीवनचक्र के दो बिंदुओं पर हमला करने की इसकी क्षमता से पता चलता है कि मलेरिया परजीवी के लिए इसका प्रतिरोध करना मुश्किल हो जाएगा.

टूथपेस्ट में ट्राइक्लोजन होने पर यह यकृत में वसा अम्ल को बनाने में सहायक इनोयल रिडक्टेज (ईएनआर) नामक एक एंजाइम को निष्क्रिय कर प्लेग के जीवाणु को बनने से रोकता है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि जैसा कि ट्राइक्लोजन ईएनआर और डीएचईआर को सीधे प्रभावित करता है. इसलिए इसका यकृत और रक्त पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है.

अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया के कारण प्रतिवर्ष 5 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है.

इस बीमारी से लड़ने के लिए जहां कई प्रकार की दवाइयां मौजूद हैं, तो मलेरिया परजीवियों में भी इन दवाइयों से लड़ने की क्षमता तेजी से बढ़ने लगी है. इससे भविष्य में मलेरिया के लाइलाज होने की आशंका बढ़ गई है.

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